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हरिहरपुरी की चौपाइयाँ




हरिहरपुरी की चौपाइयाँ


गदहे को मत घोड़ा कहना।

ज्यादा को मत थोड़ा कहना।।


मूर्खों को विद्वान न कहना।

विद्वानों को मूर्ख न कहना।।


नारी को अबला मत कहना।

कायर नर को सबल न कहना।।


झूठे को सच्चा मत कहना।

सच्चे को मत झूठ समझना।।


हँस हँस हँस कर प्रेम बाँटना।

खुले हृदय से स्नेह याचना।।


हतोत्साह को उत्साहित कर।

सच्चे मन से सब का हित कर।।


गलत काम का तिरस्कार कर।

हर मानव में सुंदर मन भर।।


सब के घर को सदा सजाओ।

मानववादी धर्म सिखाओ।।





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